Taj Mahal history in hindi
(Taj Mahal history in hindi) शाहजहां ने किस तरह अपनी पत्नी की मोहब्बत में बनाया ताजमहल। यह जानने से पहले हम लोग शाहजहां की जिंदगी के बारे में हर एक चीज विस्तार से जानेंगे। शाहजहां का कद दरमियानी था। और वह चौड़े कंधों के मालिक थे। शहजादा होने तक उन्होंने अपने पिता जहांगीर और दादा की तरह सिर्फ मुछे रखें। वह मृदु भाषी और विनम्र थे। और हमेशा औपचारिक भाषा में बात करते थे।
शाहजहां के लिए आत्म नियंत्रण सबसे बड़ा गुण था। इसकी झलक शराब के प्रति उनके दृष्टिकोण से मिलती है। 24 साल की उम्र में उन्होंने शराब का स्वाद पहली बार चखा वह भी तब जब उनके पिता ने उसे चखने के लिए उन्हें मजबूर किया उसके बाद अगले 6 सालों तक उन्होंने कभी कबार ही शराब चखा।
शाहजहां वर्ष 1620 में जब वह दक्षिण के अभियान पर निकले तो उन्होंने पूरी तरह से शराब छोड़ दी और अपनी शराब के पूरे भंडार को चंबल नदी में बंडल दिया शाहजहां एक परंपरावादी मुसलमान जरूर थे।
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लेकिन वह संत या बैरागी नहीं थे। शान और शौकत से उनका प्यार अपने पिताजी जहांगीर से कम नहीं था। राजपथ से अपना ध्यान बांटने के लिए शाहजहां संगीत और नृत्य का सहारा लिया करते थे। कई तरह के संगीत वाद्य और शेरो शायरी सुना उनकी आदत में शुमार था। वह खुद भी अच्छा खासा गा लेते थे। उनके साथ गाने और नाचने वाली लड़कियों का एक समूह हमेशा चलता था। जिन्हें कंचन नाम से पुकारा जाता था।
शाहजहां अपनी पत्नी मुमताज महल से बेइंतहा मोहब्बत करते थे।
जब तक उनकी पत्नी मुमताज महल जीवित रही वह पूरी तरह से उनको समर्पित थे यहां तक कि उनकी दूसरी पत्नियों तक कि उनके निजी जीवन में बहुत कम जगह थी। शाहजहां के दरबारी इतिहासकार इनायत खान अपनी किताब शाहजहां नामा में लिखते हैं।
दूसरी महिलाओं के प्रति शाहजहां की भावनाएं मुमताज महल के प्रति उनकी भावना का 1000 मा हिस्सा भी नहीं थी। चाहे वह महल में हो या बाहर उनके बगैर नहीं रह सकते थे। मुमताज ना सिर्फ भला की सुंदर थी जिसे शाहजहां को बेपनाह प्यार था बल्कि वह राज पाठ में भी उन पर इस तरह निर्भर रहा करते थे जैसे जहांगीर नूरजहां पर शाहजहां के गद्दी संभालने के चार वर्ष के अंदर ही मुमताज का निधन हो गया था।
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मुगल सिंह हसन पर उनका प्रभाव काफी था। अंतिम चरणों में मुमताज बहुत कमजोर हो गई थी तो उन्होंने अपने पति बादशाह शाहजहां से वादा करवाया कि वह किसी और महिला से संतान नहीं पैदा करेंगे उन्होंने कहा कि उन्होंने सपने में एक ऐसा सुंदर महल और बाघ देखा है जैसा इस दुनिया में कहीं नहीं है। मेरी आपसे गुजारिश है कि आप मेरी याद में वैसा ही एक मकबरा बनवायें गा।
मुमताज ने 17 जून 1631 को बुरहानपुर में अंतिम सांस ली अपने 14 मां बच्चों को जन्म देते समय उनकी प्रसन्न पीड़ा 30 घंटे तक चली और तमाम कोशिशें के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। इससे पहले शाहजहां ने जरूरतमंदों को इस उम्मीद में पैसे और जवाहरात बंटवाया कि शायद खुदा उनकी पत्नी को बचा ले लेकिन तमाम डॉक्टर और हकीम के कोशिश के बावजूद मुमताज को बचाया नहीं जा सका।
शाहजहां पर इस मौत का बहुत बुरा असर हुआ इतना ज्यादा कि पूरे एक हफ्ते तक ना वह अपने कक्ष से बाहर आए और नहीं उन्होंने राजपथ के किसी काम में हिस्सा लिया उन्होंने संगीत सुनना गाना और अच्छे कपड़े पहनना सब कुछ छोड़ दिया अगले 2 सालों तक और उसके बाद हर बुधवार को जिस दिन मुमताज का निधन हुआ था।
उन्होंने सिर्फ सफेद कपड़े ही पहने लगातार रोने की वजह से उनकी आंखें कमजोर हो गई और उन्हें चश्मा पहनने के लिए मजबूर होना पड़ा इस घटना से पहले उनकी दाढ़ी और मूंछों में एक दो ही सफेद बाल हुआ करते थे। जिन्हें वह अपने हाथों से तोड़कर फेंका करते थे।
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लेकिन कुछ दिनों के भीतर उनकी एक तिहाई दाढ़ी सफेद हो गई और उन्होंने राजगांधी छोड़ने का भी मन बनाया लेकिन फिर उन्होंने यह सोचकर ऐसा नहीं किया की बादशाहत एक पवित्र जिम्मेदारी है। जिसे निजी त्रासदी के कारण नहीं छोड़ा जा सकता बुरहानपुर में तापी नदी के किनारे एक बाग में मुमताज दफनाया को गया 6 महीने बाद उनके पार्थिव शरीर को वहां से निकाल कर 15 वर्षीय शहजादा शाह शुजा की देखरेख में आगरा लाया गया जहां 8 जनवरी 1632 को उन्हें यमुना के किनारे दोबारा दफनाया गया लेकिन उनकी यह दूसरी कब्र भी उनका अंतिम विश्राम स्थल नहीं थी।
वहीं पर शाहजहां ने उनका एक मकबरा बनवाया जिसे उन्होंने रोज़ाए मुनव्वरा का नाम दिया जिसे बाद में ताजमहल कहा जाने लगा अमीर अब्दुल करीम और मुकम्मल खान को इस मकबरे को बनवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जहांगीर के शासनकाल में दक्षिणी ईरान के शिरा शहर से भारत आए थे उन्होंने उन्हें अपना निर्माण मंत्री भी बनाया था। बाद मे वर्ष 1641 में उन्हें दिल्ली का गवर्नर बनाया गया।
उनको ही नए शहर शाह जहानाबाद में लाल किले को बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई Taj Mahal को 1560 के दशक में दिल्ली में बने हुमायूं के मकबरे की तर्ज पर बनाया गया था। उसकी चारों मीनार 139 फीट ऊंची थी और सब के ऊपर एक छतरी लगाई गई थी ताजमहल के निर्माण का काम जनवरी 1632 में शुरू हुआ था।
सबसे पहले उस इलाके को साफ कर सारी जमीन को बराबर किया गया उसके बाद हजारों मजदूरों ने दिन-रात काम कर भवन के निर्माण के लिए गहरी निभ खोदी गई और इस बात का खास ध्यान रखा गया कि नजदीक में बहने वाली यमुना नदी का पानी उसमें रिस्क ना आ सके।
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जून और सितंबर के बीच यमुना नदी में आने वाली बाढ़ का पानी Taj Mahal को नुकसान न पहुंचा सके। इसके लिए पहले 970 फीट लंबा और 364 फीट चौड़ा चबूतरा बनाया गया इस पर फिर मकबरा बनवाया गया। हवन में लगने वाला संगमरमर 200 मील दूर मकराना से लाया गया Taj Mahalमें इस्तेमाल किए गए संगमरमर के कुछ टुकड़े इतने बड़े थे कि उन्हें बैलों और लंबी सिंह वाले भैंसो ने अपना बहुत पसीना बहा कर आगरा तक पहुंचा था। उन्हें खासतौर से बनी बैलगाड़ियों में लाया गया था जिसे 25 से 30 मवेशी खींचते थे।
Taj Mahal को बनाने के लिए बांस और लकड़ी की बोलियों और ईटों का एक मचान बनाया गया जब काम पूरा हो गया तो शाहजहां को मजदूर की तरफ से यह बताया गया कि कि ईटों के मचान को गिराने में 5 साल का समय लग जाएगा इस पर शाहजहां ने आदेश दिया कि गिराई गई सभी ईट और लकड़ी की बोलिया उन मजदूरों की हो जाए गी शाहजहां के इस आदेश के बाद मजदूरों ने रातों-रात उस मचान को गिरा दिया।
Taj Mahal को पूरी तरह बन जाने से पहले नजरों से बचाने के लिए उस मचान को बनाया गया था। इस कहानी में भी कोई दम नहीं है की एक बार जब एक व्यक्ति ने दीवार के बाहर से ताजमहल को बनते देख लिया था तो उसकी आंखें फुरवा दी गई थी।
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Taj Mahal का हर गाइड अभी भी वह किस्सा बताते नहीं थकता कि किस तरह शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले हर मजदूर के हाथ कटवा दिए थे ताकि वह दुनिया के आठ में आश्चर्य को दोबारा नहीं बना सके लेकिन इस घटना के भी कोई साक्ष्य नहीं मिलते और नाहीं किसी इतिहासकार ने इसका जिक्र किया है।
Taj Mahal पर नक्काशी करने की जिम्मेदारी अमानत खान शिराजी को दी गई थी। वह अकेले शख्स थे जिन्हें शाहजहां ने ताजमहल पर अपना नाम लिखने की इजाजत दी थी। कवि गयासुद्दीन ने मकबरे के पत्थर पर इबारतें लिखी हैं, जबकि इस्माइल खान अफरीदी ने टर्की से आकर इसके गुम्बद का निर्माण किया। ताजमहल के डिज़ाइनर का नाम उस्ताद अहमद लाहौरी था।
कुरान की आयतों के अलावा Taj Mahal में फूलों की नक्काशी इतनी जबरदस्त थी कि दो शताब्दी बाद रूसी लेखिका हेलेना फ्लावर्स ने लिखा ताजमहल की दीवारों पर बनाए गए कुछ फूल देखने में इतने असली दिखते थे कि हाथ अपने आप उन्हें छूने के लिए बढ़ जाते थे।
इसका केन्द्रीय गुम्बद 187 फीट ऊंचा है। इसका लाल सेंड स्टोन फतेहपुर सिकरी, पंजाब के जसपेर, चीन से जेड और क्रिस्टल, तिब्बत से टर्कोइश यानी नीला पत्थर, श्रीलंका से लेपिस लजुली और सेफायर, अरब से कोयला और कोर्नेलियन तथा पन्ना से हीरे लाए गए। इसमें कुल मिलाकर 28 प्रकार के दुर्लभ, मूल्यवान और अर्ध मूल्यवान पत्थर ताजमहल की नक्काशी में उपयोग किए गए थे। मुख्य भवन सामग्री, सफेद संगमरमर जिला नागौर, राजस्थान के मकराना की खानों से लाया गया था।
दस्तावेजों के आधार पर कुछ इतिहासकारों ने ताजमहल के बनने की कीमत 4 करोड रुपए की है। भवन के निर्माण का सारा पैसा सरकारी खजाने और आगरा प्रांत के खजाने से दिया गया आने वाले समय में Taj Mahal के रखरखाव के लिए शाहजहां ने आदेश दिया था कि आगरे के आसपास के 30 गांव से मिलने वाली माल गुजरी का इस्तेमाल ताजमहल के रखरखाव के काम में किया जाए।
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जब 1659 में शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को गड़ी से उतार कर उन्हें कैद कर दिया तो वह कुछ दिनों बाद बीमार पर गए लगने लगा कि अब उनके पास बहुत अधिक समय नहीं बचा है तो उन्होंने इच्छा प्रकट की उन्होंने यह इच्छा प्रकट की कि उन्हें उस छज्जे पर रखा जाए जहां से वह अपने बनाए हुए Taj Mahal का हर वक्त दीदार कर सके।
ठीक उसी छज्जे पर कश्मीरी शॉल में लिपटे हुए शाहजहां ने 30 जनवरी 1666 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया उसे समय उनकी बेटी जहां आरा उनके साथ थी। उनके पार्थिव शरीर को सैंडल की लकड़ी से बने ताबूत में लिटाया गया उनकी बेटी चाहती थी कि राजकीय ढंग से उनके पिता शाहजहां का अंतिम संस्कार किया जाए लेकिन लेकिन औरंगजेब ने इन चीजों की इजाजत नहीं दी।
उन्हें चुपचाप कुरान की आयतों के उपचार के बीच Taj Mahal में उनकी पत्नी मुमताज महल की बगल में दफना दिया गया। मुगलों के पतन के बाद 1803 में अंग्रेजों का आगरा पर कब्जा हो गया साथ ही अंग्रेजों द्वारा ताजमहल को काफी नुकसान पहुंचाया गया ताजमहल की दीवारों में जड़े मूल्यवान रत्न और जवाहर रात ताजमहल में उपयोग किए जाने वाली काली ने धीरे-धीरे गायब होने लगी।
Taj Mahal के चबूतरे पर अंग्रेजों के सैनिकों के द्वारा बैंड बाजा बजाए जाने लगा। बगीचे में पिकनिक परिया होने लगी इस दौरान यह अफवाह भी उड़ी की 1830 के दौरान ब्रिटिश गवर्नर जनरल विलियम पेंटिंग ने ताजमहल को गिराकर उसकी संगमरमर नीलाम करने के बारे में सोच रहा है।
अशुद्ध 57 की विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सैनिकों ने कुछ मुगल इमारतें को नुकसान पहुंचाया गया उनमें से एक था मुमताज महल के पिता का महल लेकिन Taj Mahal किसी तरह सुरक्षित रहा शुरुआत में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन ने ताजमहल की मरम्मत में गहरी रुचि दिखाइए1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ताजमहल को सुरक्षित रखने के लिए काले रंग का विशालकाय कपड़ा सिलवाया ताकि ताजमहल को चांदनी रात में Taj Mahal को ऊपर से नहीं देखा जा सके यह कपड़ा वर्ष 1995 तक तो सुरक्षित रहा लेकिन जब उसे चुहा ने जगह-जगह से काट दिया जिसकी वजह से बाद में विशालकाय कपड़ा को नष्ट कर दिया गया।
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