Hormones: नींद की हालत में हमारी बॉडी के साथ इतना सब कुछ करते हैं, क्या हमने कभी जानने की कोशिश की है?
(Hormones: नींद की हालत में हमारी बॉडी के साथ इतना सब कुछ करते हैं) आपने कभी गोर किया है. हमारे कंसंट्रेशन लेवल सुबह को अलग और शाम को अलग होते हैं. ऑफिस या कॉलेज की कोई रिपोर्ट बनानी हो तो कभी तो हम घंटे उसे लेकर बैठे रहते हैं लेकिन काम नहीं हो पाता और कभी कुछ ही मिनट में लिखी जाती है. इसकी वजह है, हमारी बॉडी हमारी बॉडी क्लॉक क्यों कहते हैं कि सुबह उठकर योग करो या क्यों कहा जाता है, कि सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करो तो सब कुछ अच्छे से याद रहेगा क्योंकि सूरज उगने से लेकर सूरज ढलने तक हमारे शरीर में अलग-अलग तरह के Hormones निकलते हैं.
कोई हमें अलर्ट बनाता है, तो कोई हमें थका देता है, तो कोई कहता है, जागो सुबह हो गई कोई कहता है, अब सो जाओ रात हो गई तो आयें समझते हैं. नींद में रात को यह Hormones हमारे साथ क्या-क्या सब करते हैं.
सूरज जब ढलता है, तो लाल और नारंगी रंग का प्रकाश हमारी आंखों में मौजूद रेटिना को एक्टिवेट कर देता है. इससे मेलेटोनिन (Melatonin) की मात्रा बढ़ने लगती है. मेलेटोनिन (Melatonin) वह हार्मोन है, जिसके कारण हमें नींद आती है. दरअसल यह हमें थका देता है. हम कोई भी काम ठीक से करने की हालत में नहीं रहते हमारी आंखें बंद होने लगती है. शरीर में हल्की सी कंपन उठने लगती है, जिससे दिमाग को यह संदेश जाता है, कि अब सोने का वक्त आ गया है.
दिमाग में हाई फ्रीक्वेंसी वेव्स की जगह लो फ्रिकवेंसी वेव्स ले लेती है. हम पूरी तरह रिलैक्स हो जाते हैं. नींद में पहुंचने के बाद हमारे ग्रोथ Hormones एक्टिवेट हो जाते हैं. हमारा शरीर एक तरह की वर्कशॉप में पहुंच जाता है. जहां उसकी मरम्मत का काम होता है. मांसपेशियां त्वचा बाल नाखून सबकी मरम्मत होती है.
बच्चे में Sleep Hormones हमसे ज्यादा सक्रिय होता है, इसलिए छोटे बच्चे हमसे ज्यादा सोते हैं!
क्या आपको समझ आया कि बच्चे हमसे ज्यादा क्यों सोते हैं. बिल्कुल Hormones की वजह हैं, उनमें ग्रोथ Hormones हमसे ज्यादा सक्रिय होता है, और हो भी क्यों ना बच्चों को छोटे से बड़ा होना होता है. बच्चा जब पैदा होता है, तब तो दिन भर सोता रहता है. शुरू में बच्चों को 16 घंटे की नींद चाहिए होती है. बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, नींद की टाइमिंग भी धीरे-धीरे घटने लगती है. 16 से 14, 14 से 12, 12 से 10 हो जाता है.
जब हम ठीक से नहीं सोते हैं, तो हमारी आंखों के नीचे कालेपन पड़ने लगते हैं, क्योंकि ग्रोथ Hormones को ठीक से रिपेयर करने का पूरा टाइम नहीं मिला इसी तरह से अगर ज्यादा ना सोए तो बाल झड़ने लगते हैं. हम फ्रेश फील नहीं करते हैं.
हमारी बॉडी किस तरह से काम करती है उसे हम कंप्यूटर के उदाहरण से समझने की कोशिश करेंगे. हमारा शरीर जो है. वह किसी कंप्यूटर की तरह है. स्मार्टफोन लैपटॉप आप जो चाहे समझ ले है तो सब के सब कंप्यूटर ही और हमारा दिमाग जो है. वह इस कंप्यूटर का प्रोसेसर है. प्रोसेसर तेज चलेगा तो कंप्यूटर भी अच्छे से काम करेगा.
जब आपका कंप्यूटर ठीक से काम नहीं करता है, तो आप क्या करते हैं. उसे शटडाउन कर देते हैं. शटडाउन करके रीस्टार्ट करते हैं. हमारी नींद जो है, वह हमारे शरीर का शटडाउन मोड है, इस शटडाउन के दौरान हमारे प्रोसेसर में क्या सब चलता है. उसे समझने की कोशिश करते हैं. नींद में दिमाग के अंदर भी सफाई का काम शुरू हो जाता है. दिन भर में हमने जो सब देखा महसूस किया उसमें से जरूरी चीज होती है, टेंपरेरी स्टोरेज में चली जाती है, और जो चीज जरूरी नहीं होती उन्हें दिमाग डिलीट कर देता है.
बेहद जरूरी चीजों को ही दिमाग परमानेंट स्टोरेज में सिर्फ सैफ रख देता है. यह सब तब होता है. जब हम गहरी नींद में होते हैं. इसके बाद शुरू होता है. रैपिड आए मूवमेंट फेस यानी नींद का वह हिस्सा जिसमें हम सपने देखते हैं, इसमें हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ता है. दिल बहुत तेजी से धड़कने लगता है. और सांस भी तेज हो जाती है. सपनों के जरिए हमारा दिमाग उन जज्बातों का प्रक्रिया कर रहा होता है, जो हमने दिन भर में महसूस किए हैं.
कुछ देर सपने देखने के बाद टोल एक्टिवेट हो जाता है, और हमारी नींद टूटने लगती है. कॉर्टिसोल ही हमें नींद से बाहर निकलने का काम करता है, लेकिन अलार्म बजते ही बिस्तर से बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि दिमाग का हर हिस्सा एक साथ नहीं जागता है. इसलिए थोड़ा वक्त लेना चाहिए, इसी तरह हर सुबह के साथ हमारा प्रोसेसर फिर से रीस्टार्ट हो जाता है.
नींद के हार्मोन (Sleep hormones) के बारे में जानकारी देने के लिए, यहाँ पर कुछ मुख्य Hormones का उल्लेख है।
1. मेलाटोनिन (Melatonin ): मेलाटोनिन को अक्सर “नींद का Hormones” कहा जाता है। यह अंधेरे की प्रतिक्रिया में पीनियल ग्रंथि द्वारा निर्मित होता है और शरीर की आंतरिक घड़ी को विनियमित करने में मदद करता है। मेलाटोनिन का स्तर आम तौर पर शाम को बढ़ता है, जो शरीर को संकेत देता है कि यह सोने का समय है, और सुबह कम हो जाता है, जिससे जागने को बढ़ावा मिलता है।
2. सेरोटोनिन (Serotonin): सेरोटोनिन, जिसे अक्सर “फील-गुड हार्मोन” कहा जाता है, नींद के नियम में भी भूमिका निभाता है। यह मूड, भूख और नींद-जागने के चक्र को नियंत्रित करने में मदद करता है। सेरोटोनिन मस्तिष्क में मेलाटोनिन में परिवर्तित हो जाता है, जो नींद-जागने के चक्र के नियमन में योगदान देता है।
3. ग्रोथ हार्मोन (Growth Hormone): ग्रोथ हार्मोन मुख्य रूप से गहरी नींद के दौरान जारी होता है, खासकर नींद के पहले कुछ घंटों के दौरान। यह वृद्धि, कोशिका मरम्मत और मांसपेशियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. कोर्टिसोल (Cortisol): कोर्टिसोल, जिसे अक्सर “तनाव हार्मोन” के रूप में जाना जाता है, एक दैनिक लय का पालन करता है, जिसका स्तर आमतौर पर जागरुकता को बढ़ावा देने के लिए सुबह में चरम पर होता है और नींद की सुविधा के लिए दिन भर में गिरावट आती है। हालाँकि, पुराना तनाव इस लय को बाधित कर सकता है, जिससे नींद में खलल पड़ सकता है।
ये Hormones नींद-जागने के चक्र को विनियमित करने के लिए एक जटिल परस्पर क्रिया में एक साथ काम करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि शरीर को इष्टतम कामकाज के लिए आवश्यक आराम मिले। इन हार्मोनों के उत्पादन या संतुलन में व्यवधान से नींद संबंधी विकार और गड़बड़ी हो सकती है।
ये हार्मोन शरीर की नींद की समय सारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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पर्याप्त नींद नहीं लेने के नकारात्मक प्रभावों के कई पहलू हैं।
1. मानसिक कोष्ठक कार्य में हानि: नींद की कमी आपकी ध्यान केंद्रित क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता, और याददाश्त को प्रभावित कर कर सकती है। यह नई जानकारी सीखने और समस्याओं को सही ढंग से हल करने में भी कठिनाई पैदा कर सकती है।
2. मनोबल में विपरीत परिवर्तन: नींद की कमी आपको चिढ़ापन, मनोविकार, और बढ़ी हुई तनाव स्तर का सामना करवा सकती है। यह चिंता और डिप्रेशन की भावना को भी बढ़ा सकती है।
3. कमजोर इम्यून सिस्टम: नियमित नींद की कमी आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकती है, जिससे आप संक्रमणों और बीमारियों के लिए अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
4. क्रोनिक रोगों का जोखिम बढ़ना: पर्याप्त नींद न मिलने की वजह से विभिन्न क्रोनिक स्थितियों के जोखिम को बढ़ा सकता है, जैसे कि मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, और स्ट्रोक।
5. शारीरिक प्रदर्शन में कमी: नींद की कमी आपके शारीरिक प्रदर्शन और समन्वय को प्रभावित कर सकती है, जिससे ड्राइविंग या मशीनरी का उपयोग करने जैसे कार्य खतरनाक हो सकते हैं।
6. अच्छा मानसिक स्वास्थ्य: नींद की कमी को मानसिक स्वास्थ्य विकारों जैसे कि डिप्रेशन और चिंता के जोखिम के साथ जोड़ा गया है।
7. वजन बढ़ना: नींद की कमी भूख और भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोनों को बिगाड़ सकती है, जिससे अनियमित आहार के प्रति अधिक लालसा हो सकती है और समय के साथ वजन बढ़ सकता है।
8. लिबीडो में कमी: नियमित नींद की कमी सेक्स में रुचि कम कर सकती है और कमजोर लिबीडो के कारण ले सकती है।
9. हादसों का जोखिम बढ़ना: नींद की कमी प्रतिक्रिया समय और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे घर पर और कार्यस्थल पर हादसों का जोखिम बढ़ जाता है।
10. पूर्वजातीय उम्रिकता: नियमित नींद की कमी को त्वचा की पूर्वजातीय उम्रिकता से जोड़ा गया है।
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