Placenta kya hota hai in hindi

Placenta kya hota hai in hindi

(Placenta) गर्भधारण करने के बाद गर्भाशय में एमनियोटिक फ्लूड और Placenta का बनना शुरू होता है. एमनियोटिक फ्लूड और Placenta का ठीक-ठाक भार होता है. बच्चा अगर 3 से 4 किलो का होता है तो प्लेसेंटा और एमनियोटिक फ्लूड मिलाकर एक से डेढ़ किलो के होते हैं.

क्या आपको पता है Placenta बनती कैसे हैं?

महिला के गर्भधारण करने के बाद गर्भाशय में एक तरल पदार्थ का निर्माण होना शुरू होता है इसे एमनियोटिक फ्लूड कहा जाता है. शिशु के स्वास्थ्य व उसके विकास के लिए इस एमनियोटिक फ्लूड का सही मात्रा में होना जरूरी है. इसके कम या ज्यादा होने से शिशु को कई तरह की समस्या हो सकती हैं.

आज समझते हैं. बेबी कंसीव करने पर शरीर में क्या होता है और कंसीव करने के लिए किस-किस बात का ध्यान रखना चाहिए.  एक्चुअली महिलाओं में Placenta तब बनता है जब औरत pregnant हो जाती है. Placenta जब आप प्रेगनेंसी टेस्ट करती हैं तो वह जो लाइन बनी आती है वह यही बताती है कि आपके शरीर में Placenta बनना शुरू हो गया है. दरअसल एग फर्टिलाइजर (जिसे भ्रूण कहा जाता है) होने के एक हफ्ते बाद HCG नाम का हार्मोन एक्टिवेट हो जाता है.

Placenta kya hota hai in hindi

इसे ट्रोफोब्लास्ट (Trophoblast) नाम के सेल्स बनाते हैं यह सेल्स भ्रूण के चारों तरफ एक तरह का घेरा बना लेते हैं फिर इनकी एक परत जाकर यूटरस की लाइनिंग से जुड़ जाती है जो आपस में मिलकर यह Placenta बनाते हैं HCG के level हर 2 दिन में दो गुने हो जाते हैं इसी से प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आता है.

प्रेगनेंसी के पांचवें हफ्ते से ही Placenta अम्बिलिकल कॉर्ड (Umbilical cord) के जरिए एंब्रियो (Embryo) को सब जरूरी सामान मुहैया कराने लगता है. जैसे कि ऑक्सीजन, विटामिंस, मिनरल्स, प्रोटीन और एंटीबॉडीज साथ ही Placenta यह भी सुनिश्चित करता है कि बच्चों को मां से किसी भी तरह के बुरे वायरस और बैक्टीरिया ना मिल सके हालांकि फिर भी कुछ ठिट किस्म के रोगाणु अंदर घुस सकते हैं.

जैसे की मीजल्स के वायरस और सिगरेट की निकोटिन या फिर वाइन की अल्कोहल Placenta हार्मोन का सही इस्तेमाल करके और भी बहुत कुछ कंट्रोल करता है. वह यूट्रस में बच्चों के लायक जगह बनवाता है पीरियड्स को रोकने का काम करता है साथ ही वह ब्रेस्ट का आकार बड़ा करवाता है ताकि बाद में उनमें दूध बन सके प्लेसेंटा अपना ख्याल खुद रखता है और कोख में पल रहे बच्चे का तो रखता ही है प्रेगनेंसी के अंत तक प्लेसेंटा का आकार करीब 20 सेंटीमीटर का हो चुका होता है. वजन करीब 600 ग्राम बच्चे के जन्म के साथ ही Placenta का काम खत्म हो जाता है.

जब आप घर पर पहली बार प्रेगनेंसी टेस्ट करती हैं और उस पर वह एक लाइन बनी आती है तो यकीन नहीं आता की टेस्ट पॉजिटिव है. कुछ लोग दोबारा टेस्ट करते हैं या डॉक्टर के पास जाकर ब्लड टेस्ट भी कराते हैं ताकि एकदम कंफर्म हो जाए डॉक्टर जब अल्ट्रासाउंड करते हैं तो वह भी यही देखते हैं कि क्या Placenta बनी शुरू हुई है.

हमारे साथ जुड़ने के लिए नीचे दिए गए हुए लिंक पर क्लिक करें!

 WhatsApp  Link
 Telegram   Link

अगर आप प्रेगनेंट होना चाहती हैं तो इन कुछ बातों का ध्यान रख सकती हैं ताकि कंसीव करने में ज्यादा मुश्किल ना आए. फर्टिलिटी बढ़ाने के 6 टिप्स

A. टिप नंबर 1 कंडोम इस्तेमाल करें जब तक आप प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती हैं तब तक कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए इसे इन्फेक्शन या सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिसीसिस का खतरा कम होता है. एसटीडी होने से मां बनने में दिक्कत आ सकती है इसलिए कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए. 

B. टिप नंबर 2 चाय कॉफी शराब और ड्रग्स से दूर रहे अब आप कहेंगे कि ड्रग्स और शराब तो समझ में आता है लेकिन आखिर यह चाय और कॉफी का क्या मतलब है. बहुत ज्यादा कॉफी पीने से फैलोपियन ट्यूब की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं रिसर्च दिखती है कि दिन में पांच कब से ज्यादा कॉफी पीने से मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है और ध्यान रहे चाय में भी कैफ़ीन होती है. इसलिए  चाय भी ज्यादा ना पिए.

C. टिप नंबर 3 स्मोकिंग से बच्चे नियमित रूप से सिगरेट पीने वाली महिलाओं में गर्भधारण की संभावना 40 फ़ीसदी कम होती है सिगरेट आपकी ओवरसीज को खराब करती है इसलिए इस से दूर ही रहे.

Placenta kya hota hai in hindi

D. टिप नंबर 4 वजन पर ध्यान दें रिसर्च ओबेसिटी का फर्टिलिटी से सीधा नाता दिखती है बहुत पतला होने की जरूरत नहीं है बस ध्यान दें कि आप ओवरवेट ना हो रेगुलरली थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करते रहे और पौष्टिक आहार लें अगर आप कंसीव करना चाहती हैं तो आपके शरीर को आयरन कैल्शियम और जिंक की बहुत जरूरत है. जिंक आपकी मेंस्ट्रूअल साइकिल को सही रखता है. साथ ही फोलिक एसिड भी अहम् है. कंसीव करने के लिए शरीर को एस्ट्रोजन और प्रोगैस्टरॉन नाम के सेक्स हार्मोन की जरूरत होती है फोलिक एसिड इन्हें बनने में मदद देता है.

E. टिप नंबर 5 प्लास्टिक से दूरी मुश्किल है लेकिन जितना हो सके प्लास्टिक से दूर रहने की कोशिश करें चूहों पर की गई रिसर्च बताती है कि प्लास्टिक एस्ट्रोजन हार्मोन की प्रोडक्शन पर बुरा असर डालता है. इंसानी शरीर में प्लास्टिक जन्म के फौरन बाद से ही पहुंचना शुरू हो जाता है बेहतर है कि बच्चा होने के बाद भी प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल न ही करें और पेसीफायर तो बिल्कुल भी ना दें.

F. टिप नंबर 6 उम्र पर ध्यान दें उम्र बढ़ाने के साथ-साथ Egg की क्वालिटी गिरने लगती है 35 की उम्र के बाद फर्टिलिटी तेजी से गिरने लगती है इसलिए फैमिली प्लानिंग जितनी जल्दी शुरू की जाए उतनी ही कम दिकते सामने आती है.

आप प्लास्टिक से जितनी मर्जी दूरी बनाने की कोशिश करें लेकिन प्लास्टिक हमारी फूड चेन में पहुंच चुका है रिसर्च तो यहां तक दिखती है कि हम एक दिन में करीब 5 ग्राम तक प्लास्टिक खा रहे हैं जो लगभग एक क्रेडिट कार्ड के बराबर होता है. आप सोचिए प्लेसेंटा के अंदर भी माइक्रो प्लास्टिक मिलें हैं यानी आप के कोख के अंदर जो बच्चा पल रहा है उसे आपके पोषण के साथ-साथ प्लास्टिक भी मिल रहा है.

 Taj Mahal history in Hindi  (Click here)
 Sher Shah Suri history in hindi  (Click here
 Darbhanga IT Park  (Click here)
 Darbhanga fort history in hindi  (Click here)