Periods kyu hota hai ladkiyon ko | इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

Periods kyu hota hai ladkiyon ko | इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

Periods kyu hota hai ladkiyon ko | इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी उसका नाम लेते हुए तो ऐसी शर्माती है कि पूछिए ही मत। तो चलिए आज बात करेंगे पीरियड्स के बारे में। आइए आज खुलकर बात करते हैं। पीरियड्स के बारे में, जो हर महीने होती है, फिर भी इसके बारे में बात करने से हम इतना शर्माते क्यों हैं? इतनी झिझक कि हम यह शब्द भी साफ़-साफ़ नहीं बोल पाते हैं – पीरियड्स, मासिक धर्म, या फिर मेंस्ट्रुएशन (Menstruation)।

इसे समझने के लिए, हम उदाहरण के तौर पर एक सेब लेते हैं और मान लेते हैं कि यह औरत के शरीर में मौजूद अंडाणु है। वक्त के साथ यह मेच्योर होता  है, दोनों में से किसी एक ओवरी के अंदर। फिर यह फेलोपियन ट्यूब के रास्ते नीचे आकर गर्भाशय (यूटरस) में प्रवेश करता है।

यहाँ अगर इससे स्पर्म मिल जाता है, तो यह निषेचित हो जाता है। इस दौरान गर्भाशय गर्भावस्था की तैयारी में जुट जाती है और मुलायम कोशिकाएँ बनाना शुरू करती है, ताकि गर्भावस्था के दौरान सब कुछ सुचारू रहे। अगर अंडाणु निषेचित नहीं होता, तो इसे शरीर से बाहर निकालना पड़ता है, और यही हर महीने होने वाली ब्लीडिंग है। यह जितना हमें दिखता है, उससे कम होता है, केवल 50 से 65 मिलीलीटर।

कुछ महिलाओं को इस दौरान बहुत दर्द होता है, कमजोरी महसूस होती है, लेकिन अगर आप बीमार महसूस नहीं कर रही हैं, तो आप पूरी तरह फिट हैं और सब कुछ कर सकती हैं। उंगली से निकला खून पीरियड्स के खून से अलग होता है। क्या आपको पता है कि पीरियड्स के दौरान हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण क्या होता है? एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH), और फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH)।

Ovulation से ठीक पहले, यानी जब अंडाणु ओवरी को छोड़कर यूट्रस की ओर जाता है, उस समय शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा तेजी से बढ़ जाती है। एस्ट्रोजन के कारण ही गर्भाशय में नई कोशिकाएँ बनती हैं। इस हॉर्मोन के बढ़ने से हमें अचानक ऊर्जा महसूस होती है। इस दौरान शरीर एस्ट्रोजन से यह भी लड़ रहा होता है कि अब और टिशू बनाना बंद करो, नहीं तो वे कैंसर में बदल सकते हैं। एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने के साथ ही LH सक्रिय हो जाता है और यह अंडाणु को नई साइकिल की शुरुआत के लिए संकेत देता है।

इस समय एस्ट्रोजन की मात्रा फिर से बढ़ने लगती है और गर्भाशय में कोशिकाओं का निर्माण भी शुरू हो जाता है। सोचिए, जब शरीर के अंदर इतना कुछ हो रहा होता है, तो दिमाग का क्या हाल होता होगा? हॉर्मोन के इस कॉकटेल के कारण कई महिलाओं में मूड स्विंग्स होते हैं। कुछ लड़कियों को रोने का मन करता है, तो कुछ को चिड़चिड़ापन महसूस होता है।

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तो अगली बार जब आपको (Periods) पीरियड्स हों, तो अपने शरीर को धन्यवाद दीजिए और खुद से कहिए, “ऑल इज़ वेल।” वैसे, (Periods) पीरियड्स के दौरान पेट फूलना और गैस होना भी सामान्य है।

Periods kyu hote hai. पीरियड्स से जुड़े कुछ सामान्य सवाल:

1. अगर पीरियड्स लंबे समय तक चले या बहुत ज्यादा रक्तस्राव हो तो क्या करें?
सामान्य रूप से पीरियड्स 5 से 7 दिनों तक चलते हैं। अगर यह अधिक समय तक चलता है या भारी मात्रा में रक्तस्राव होता है, तो यह मेनोरेजिया (Menorrhagia) हो सकता है। हॉर्मोनल असंतुलन, गर्भाशय या अंडाशय की बीमारी, या रक्त विकार इसके कारण हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह समस्या गर्भधारण में बाधा उत्पन्न कर सकती है।

2. अनियमित पीरियड्स क्या हैं और इसका समाधान क्या है?
अगर मासिक चक्र 21 दिनों से कम या ज्यादा होता है, या ब्लीडिंग बहुत ज्यादा होती है, तो इसे अनियमित पीरियड्स कहा जाता है। इस स्थिति में एक अच्छे डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

3. अगर पीरियड्स नहीं हो रहे हैं तो क्या करें?
अगर किसी लड़की की उम्र 15-16 वर्ष से अधिक है और उसे पीरियड्स नहीं हो रहे हैं या कुछ बार आकर बंद हो गए हैं, तो इसे एमेनोरिया (Amenorrhea) कहते हैं। यह अक्सर हॉर्मोनल असंतुलन या प्रजनन अंगों की कमजोरी के कारण होता है। इस स्थिति में एक डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है, क्योंकि इससे गर्भधारण में समस्या हो सकती है।

4. पीरियड्स में दर्द होने पर क्या करें?
(Periods) पीरियड्स के दौरान हल्का दर्द सामान्य है, लेकिन अगर दर्द इतना ज्यादा हो कि सामान्य गतिविधियाँ भी नहीं कर पा रही हों, तो इसे डिसमेनोरिया (Dysmenorrhea) कहते हैं। इसका कारण एंडोमीट्रीओसिस (Endometriosis) भी हो सकता है, जिसमें गर्भाशय के बाहर टिश्यू का विकास होता है। इस स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

मेनोपॉज की जानकारी:
जब किसी महिला के (Periods) पीरियड्स बंद हो जाते हैं, तो उसे मेनोपॉज कहा जाता है। यह आमतौर पर 45-55 वर्ष की उम्र के बीच होता है। इस समय शरीर में अंडाणु बनना बंद हो जाता है और मासिक धर्म की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है। इस दौरान महिलाओं को गर्मी का अनुभव, बाल झड़ना, और योनि में रूखापन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

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