Darbhanga Fort | इस लाल किले का पूरा इतिहास और तथ्य
दरभंगा किला (Darbhang fort) दरभंगा जिले का एक मुख्य ऐतिहासिक स्थल है। दरभंगा के किले को रामबाग किले के नाम से जाना जाता है। इस किले के निर्माण के लिए ब्रिटिश फर्म के ठेकेदा र बैग कैगटीम को जिम्मेदारी दी गई थी.
90 फ़ीट ऊंचे इस लाल किले का निर्माण 1934 के भूकंप के बाद शुरू हुआ था जो सालों तक चलता रहा. दरभंगा के महाराज कामेश्वर सिंह किसी पहचान के मोहताज नहीं थे. ब्रिटिश शासन काल में भी महाराज काफी लोकप्रिय थे.
यही कारण है कि तब अंग्रेजी शासन में भी महाराज के रियासत को देखते उन्हें ब्रिटिश हुकूमत की ओर से महाराजाधिराज की उपाधि दी गई थी. तभी से महाराजा को महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह कहने की परंपरा शुरू हुई. जो आज भी उन्हीं नामों से प्रसिद्ध है.
Darbhanga Fort Image
महाराजा कुल के बीसवें महाराज के रूप में कामेश्वर सिंह ने अपनी अलग पहचान बनाई. कई ऐसे काम किए जिन्हें न सिर्फ आज भी लोग याद करते है बल्कि आगे भी उन्हें याद करते रहेंगे.
जब देश अंग्रेजों की गुलामी से आजादी के लिए लड़ाई लड़ रहा था. उसी समय में महाराज ने 85 एकड़ जमीन पर एक आलीशान किला के निर्माण किया था. इस किले के निर्माण के लिए ब्रिटिश फर्म के ठेकेदार बैग कैगटीम को जिम्मेदारी दी गई थी. 90 फ़ीट ऊंचे इस लाल किले का निर्माण 1934 के भूकंप के बाद शुरू हुआ था जो सालों तक चलता रहा.
आप को यह बात जान कर हैरानी होगी Darbhanga Fort की दीवार दिल्ली के लाल किले से 9 फीट ऊंची है। किले के तीन तरफ लगभग 90 फ़ीट ऊंची यह दीवार तैयार हो गई लेकिन किले के पश्चिम इलाके में यह दीवार नहीं बन सकी. क्योंकि तब पश्चिम इलाके में रहने वाले कुछ लोगों ने ऊंची दीवार के कारण धूप की रोशनी घरों में नहीं आने की शिकायत की और मामले को अदालत ले गए. तब अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी, तभी से इसे दरभंगा का लालकिला कहा जाता है.
Darbhanga Fort Main Gate
इस किले परिसर में आपको सुंदर झील देखने के लिए मिलती है। किले में आपको बड़ी-बड़ी दीवारे, दरवाजे, बुर्ज देखने के लिए मिलते हैं। इस किले के अंदर एक बाग है, जिसे रामबाग कहा जाता है। किले के अंदर कंकाली देवी का मंदिर भी है।
Darbhanga Fort का निर्माण अधूरा है। यहां पर सिर्फ आपको दीवारें, बुर्ज दरवाजा देखने के लिए मिलती है। किले के अंदर रहवासी लोगों की बस्तियां बन गई है। यह किला बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। किले की दीवार इस किले को घेरे हुए हैं।
Darbhanga Fort Mahal
इस किले में प्रवेश के लिए, जो दरवाजा है। वह बहुत ही भव्य है। इस किले का निर्माण दरभंगा के महाराजा कमलेश्वर सिंह के द्वारा किया गया था। इस किले का निर्माण 1934 में करवाया गया था। किले का निर्माण लाल ईंटों से किया गया है। किले की दीवारें बहुत मोटी मोटी हैं और किले में वॉच टावर बने हुए हैं। आप इस किले को आकर देख सकते हैं। आपको अच्छा लगेगा।
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2. श्यामा मंदिर ( Shyama Temple In Darbhanga)
यह मंदिर दरभंगा रेलवे स्टेशन से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और Darbhanga fort कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 1935 के दौरान करवाया गया था। यह मंदिर दिखने में बहुत ही ज्यादा आकर्षक है और इस मंदिर में काफी ज्यादा शांत वातावरण है।
यह मंदिर बिहार के सभी शहरों में मशहूर है और इस मंदिर में श्रद्धालु बिहार के लगभग सभी शहरों में से दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर को लेकर लोगों के मन में यह मान्यता भी है कि जो कोई व्यक्ति इस मंदिर में सच्चे मन से आकर दर्शन करता है। तो उस व्यक्ति को मनोवांछित फल मिलता है।
इसीलिए यदि आप Places To Visit In Darbhanga के विषय में विचार कर रहे हैं तो इस स्थान पर जाना मत भूलिएगा। खास तौर पर जो पर्यटक अपने परिवार वालों के साथ आते हैं।
वह इस स्थान पर आकर काफी प्रसन्न होते हैं तथा उनके मन को भी काफी ज्यादा शांति मिलती है और यदि आपके साथ आपके परिवार का कोई बुजुर्ग सदस्य हो तो फिर तो यहां पर आने का मजा भी दोगुना हो जाता है।
3. दुर्गा मंदिर लक्ष्मी सागर दरभंगा (Durga Mandir Laxmi Sagar Darbhanga)
दुर्गा मंदिर लक्ष्मी सागर में दरभंगा में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर दुर्गा जी को समर्पित है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर में दुर्गा जी की मूर्ति बहुत ही आकर्षक लगती है। यह मंदिर लक्ष्मी सागर के पास में स्थित है। लक्ष्मीसागर का दृश्य बहुत सुंदर रहता है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यह रेलवे स्टेशन के बहुत करीब है।
4. बेला पैलेस दरभंगा (Bela Palace Darbhanga)
बेला पैलेस दरभंगा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। बेला पैलेस दरभंगा जिले में मुख्य शहर में स्थित है। बेला पैलेस राजबहादुर विश्वेश्वर सिंह जी का निवास स्थान था। राजबहादुर विश्वेश्वर सिंह महाराजा धीरज कमलेश्वर सिंह के भाई थे। यह महल बहुत सुंदर है। इस महल के पास ही में, एक छोटा एक गार्डन बना हुआ है, जिसे बेला गार्डन कहते हैं। यहां पर एक तालाब भी देखने के लिए मिलता है।
राजबहादुर विश्वेश्वर सिंह को जानवरों से बहुत प्यार था। उन्होंने अपने घर में रॉयल बंगाल टाइगर पालतू जानवर के जैसे पाल रखा था। उनके पास मगरमच्छ और घड़ियाल भी थे। यह महल बहुत सुंदर है और आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। इस महल को आप बाहर से देख सकते हैं। यह अब एक सरकारी ऑफिस है। यह दरभंगा में देखने लायक एक मुख्य जगह है।
5. आठ सौ वर्ष पुरानी है शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid Darbhanga)
दरभंगा। शाही जामा मस्जिद किला घाट किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह मस्जिद तुगलक काल में बनी थी। इसका सबूत मस्जिद के मुख्य द्वार पर लगे शिलापट्ट पर अंकित सन 1235 है। मस्जिद का आध्यात्मिक महत्व भी किसी से छिपा नहीं है।
मुगल काल की इस मस्जिद में समय-समय पर विस्तार भी किया गया। लेकिन इसकी सुंदरता एवं पाकीजगी का हमेशा ध्यान रखा गया है। पतली ईंट से बनी मस्जिद की अंदरुनी दीवार 4 फीट चौड़ी है। खूबसूरत मेहराब एवं गुंबदों पर की गई कारीगरी आज भी कौतूहल का विषय है।
इस मस्जिद का इतिहास और अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हजरत मखदूम भीका शाह सैलानी, हजरत समरकंदी, हजरत रमजानी शाह, हजरत कश्मीरी शाह जैसे ऊंचे दर्जे के बुजुर्ग अल्लाह की इबादत यहीं किया करते थे।
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